टीपू सुल्तान के जीवन का इतिहास (Tipu Sultan History in Hindi)
टीपू सुल्तान मैसूर साम्राज्य के शासक थे। इनका जन्म 10 नवंबर 1750 देवनहल्ली शहर (जिसे आज के समय में बंगलुरु, कर्नाटक से जाना जाता है) में हुआ था। इनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फातिमा फख्र-उन-निसा था। उनके पिता दक्षिण भारत में मैसूर साम्राज्य के सैन्य अफसर थे। उनके पिता ने अपने रुतबे से मैसूर साम्राज्य में शासन किया था।
टीपू सुल्तान ने हिंदी, उर्दू, फारसी, कन्नड़, कुरान, घुड़सवारी और तलवार बाजी का ज्ञान था। जब टीपू सुल्तान महज 15 साल के थे। तब उन्होंने 1766 में हुई ब्रिटिश के खिलाफ पहली लड़ाई में अपने पिता का साथ दिया था। इसके बाद हैदर अली पुरे दक्षिण भारत में सबसे अधिक शक्तिशाली शासक बन गए थे। उनके पिता हैदर अली ने टीपू सुल्तान का नाम फतेह अली खान साहब रखा था।
टीपू सुल्तान को मैसूर के टाइगर के रूप में जाना जाता था। टीपू सुल्तान ने टाइगर को अपने शासन के प्रतीक के रूप में अपनाया था। टीपू सुल्तान काफी तेज थे। उन्होंने अपनी समझदारी के कारण 15 साल की उम्र में ही मालाबार साम्राज्य पर नियंत्रण कर लिया था। उस समय टीपू सुल्तान के पास 2000 सैनिक थे। मालाबार की सेना काफी अधिक थी। इसके बाद भी टीपू सुल्तान ने उनका सामना किया और जीत हासिल की थी।
पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान मैसूर साम्राज्य के शासक बने थे। इसके बाद टीपू सुल्तान ने मराठों और मुगलो के साथ गठबंधन करके, सैन्य रणनीतियों पर काम करना शुरू किया था। महाराजा ने सन 1790 में टीपू सुलतान पर हमला किया और ये लड़ाई करीब दो वर्षों तक चली थी। सन 1792 में श्रीरंगपट्टनम की संधि करके इस युद्ध को समाप्त किया गया। जिसके कारण टीपू ने मालाबार और मंगलौर जैसे कई प्रदेशों को खो दिया था।
टीपू सुल्तान के रोचक तथ्य (Tipu Sultan Facts)
- 18 वर्ष की उम्र में टीपू सुल्तान ने अंग्रेजो के खिलाफ पहला युद्ध जीता था।
- टीपू सुल्तान को शेर ऐ मैसूर कहा जाता है।
- टीपू सुल्तान पुरे देश पर बादशाह बन कर राज करना चाहते थे। लेकिन उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हुई।
- टीपू सुल्तान ने मैसूर की गद्दी पर बैठते ही राज्य को मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया था।
- टीपू सुल्तान ने दुनिया का पहला रॉकेट बनाया था। वो रॉकेट आज भी लंदन के म्यूजियम में रखे है।
- सन 1799 में अंग्रेजो के खिलाफ चौथे युद्ध में उनकी मृत्यु हो गयी थी।
- टीपू सुल्तान हिन्दुओ से नफरत करते थे। लेकिन फिर भी वो राम नाम की अंगूठी पहनते थे।
- उनकी तलवार का वजन 7 किलो 400 ग्राम था। उनकी तलवार पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ है।
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