Giloy ke Fayde: गिलोय एक प्रकार का बेहद लाभकारी एवं आयुर्वेदिक औषधि है। इसका वानस्पतिक नाम ‘टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया‘ है। आयुर्वेद के मुताबिक ज्यादातर लोग इसका सेवन गैस्टिक की समस्या से छुटकारा पाने के लिए करते हैं। गैस्टिक जैसी समस्या को खत्म करने के साथ-साथ गिलोय के और भी कई सारे औषधीय गुण है। आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडूची, छिन्नरूहा और चक्रांगी जैसे नामों से जाना जाता है। गिलोय के तने और पत्तियों में कई सारे औषधीय गुण होते हैं। बेहद ही साधारण सा दिखने वाला यह बेल मधुमेह को नियंत्रित करने, पाचन को सुधारने, अस्थमा का इलाज करने, गठिया का उपचार करने, आंखों को स्वस्थ्य रखने और कैंसर के लक्षणों को कम करनेमें काफी लाभकारी होता है। वहीं अगर इसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया गया तो यह नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
कौन-कौन से औषधीय गुण मौजूद होते हैं गिलोय में
गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन और फॉस्फोरस अच्छी मात्रा में पाया जाता है। वहीं इसके तनों में स्टार्च की भी काफी मात्रा में होता है। कहते हैं कि नीम के पेड़ पर गिलोय की बेल को चढ़ा देने से इसके गुणों में अधिक बढ़ोतरी हो जाती है। आयुर्वेदिक पद्धति में गिलोय के गुणों का व्यापक उपयोग किया जाता है। इस औषधि का उपयोग किसी भी उम्र के महिला और पुरुष कर सकते हैं। लेकिन 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यह नुकसानदेह हो सकता है। गिलोय एक प्रकार के बेल की प्रजाति है। जो किसी अन्य पेड़ या बेल की मदद से बढ़ता है। जंगलों में यह जमीन पर भी फैला रहता है। बाजार में गिलोय का जूस, पेस्ट और कैप्सूल आसानी से मिल जाता है। जड़ी बूटी के तौर पर प्रयोग में लाया जाने वाला गिलोय एक बेल के झाड़ की तरह होती है। इसकी शाखाएं काफी दूर-दूर तक फैली होती है। गिलोय की पत्तियां पान के पत्तों की तरह होती है। वहीं इसमें लगे फल लाल रंग की बेरी के समान होते हैं। गिलोय जड़ी बूटी में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-आर्थ्रिटिक, एंटी-एलर्जी, मलेरिया-रोधी, एंटी-डायिबिटिक, और एंटी-इंपोटेंसी गुण होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट की भी उच्च मात्रा होती है।
गिलोय के औषधीय गुण [Giloy ke Aushadhiya Gun]
गिलोय का इस्तेमाल उसके बेल के टुकड़े-टुकड़े करके करके उनका रस निकाल कर किया जाता है। स्वाद की बात करें तो इसका रस कड़वा और हल्का कसैला होता है। यह पौधा अपने गुणों के कारण वात, पित्त और कफ से जुड़ी विभिन्न बीमारियों को ठीक करता है। इसके अलावा गिलोय बुखार, बवासीर, खांसी, हिचकी रोकना, मूत्रअवरोधक, पीलिया, एसिडिटी, आँखों के रोग, शुगर की बीमारी, आदि के नियंत्रण में रखने और रक्त विकारों को ठीक करने के लिए मददगार साबित हो सकता है।
गिलोय के रस का प्रयोग पीलिया, गठिया, कब्ज, डेंगू, बुखार, पेट सम्बन्धी और त्वचा सम्बन्धी रोग लिए भी किया जाता है। जो लोग सांस से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके लिए गिलोय रामबाण से कम नहीं है। रक्तवर्धक होने के कारण यह शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया को भी दूर करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में गिलोय को गुडूची यानी कि अमृत के समान माना जाता है। इतना ही नहीं गिलोय को एलोपैथिक पद्धति से इलाज करने वाले डॉक्टर भी किसी अमृत से कम की संज्ञा नहीं देते।
खांसी के इलाज के लिए गिलोय [Giloy Benefits in Cough]
गिलोय के इस्तेमाल से पुरानी से पुरानी खांसी का इलाज किया जा सकता है इसके लिए रोज सुबह दो चम्मच गिलोय का रस खाली पेट में लेना चाहिए। ऐसा तब तक करें। जब तक खांसी पूरी तरह से खत्म ना हो जाए।
पाचन प्रक्रिया को ठीक करता है गिलोय [Giloy Benefits in Digestion]
पेट से संबंधित ज्यादातर बीमारियां मानसिक तनाव या शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों के कारण होती है गिलोय का रस शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है। इतना ही नहीं यह तनाव को भी दूर करता है। जिसके कारण आपके पाचन तंत्र स्वस्थ रहते हैं। इसके लिए आधा ग्राम गिलोय का पाउडर और आधा ग्राम आंवले का पाउडर मिलाकर कुछ दिनों तक ठंडे पानी, छाछ या मट्ठा के साथ सेवन करें। इससे मानसिक तनाव व तो दूर होगी, साथ ही अपच की समस्या भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
गिलोय के फायदे बुखार करे ठीक [Giloy Benefits in Fever]
ऐसे तो बुखार जब बहुत तेज हो जाए तो एलोपैथिक दवाई लेना ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन इसके साथ साथ-साथ अगर नियमित रूप से गिलोय का भी सेवन किया जाए। तो बुखार को जड़ से खत्म करने में ज्यादा समय नहीं लगता। गिलोय का रस चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बुखारों को भी खत्म करने में काफी कारगर है। इसके लिए आप गिलोय के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम नियमित रूप से पिएं। इसके सेवन से चिकनगुनिया के बुखार के दौरान होने वाले शरीर के दर्द भी खत्म हो जाते हैं
बवासीर के इलाज में मददगार है गिलोय [Giloy Benefits in Piles]
गिलोय शरीर के पाचन समस्या को तो ठीक करता ही है। साथ ही साथ बवासीर की समस्या को दूर करने में भी काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके अंदर मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण बवासीर की सूजन और दर्द से भी राहत दिला सकते हैं। इसके लिए गिलोय के रस का नियमित सेवन करना लाभकारी होता है।
गिलोय का इस्तेमाल इम्युनिटी बढ़ाता है [Giloy Benefits in Immunity]
मौसमी बीमारियों के चपेट में आने के कारण हम कई बार फंगल इन्फेक्शन से संक्रमित होकर सामान्य बीमारी जैसे सर्दी जुखाम आदि की चपेट में आ जाते हैं। हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम सही हो तो ऐसी बीमारी आसानी से हमारे शरीर पर हावी नहीं हो पाते। लेकिन अगर इम्यून सिस्टम कम पड़ जाए तो कोई भी बीमारी बेहद ही आसानी से शरीर पर कब्जा कर लेती है। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। जो आपके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। यह शरीर में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं से लड़ते हैं और फ्री रेडिक्ल्स के प्रभाव से बचाते हैं। इस तरह से मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आप भी गिलोय का इस्तेमाल कर इस प्रकार की समस्या से बच सकते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं सर्दी जुकाम, बुखार आदि में एक अंगुल मोटी व 4 से 6 इंच लम्बी गिलोय का तना लेकर 400 मि.ली पानी में उबालें, 100 मिली रहने पर पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून-सिस्टम) को मजबूत करती है बुजुर्ग व्यक्तियों में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम, बुखार आदि को ठीक करता है।
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