IVF Kya Hai: जब कोई भी लड़की मां बनती है तो यह एहसास उसके लिए बहुत ही खास होता है. जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. क्योंकि यहां से उनके जीवन की एक दूसरी पारी शुरू होती है. लेकिन कुछ महिलाएं किसी कारणवश मां नहीं बन पाती. जो किसी न किसी शारीरिक कमी के कारण होता है. यदि आप में भी कोई ऐसी ही समस्या है जिसके कारण आप अब तक निसंतान है तो उस स्थिति में आप IVF ट्रीटमेंट(IVF Treatment Kya Hota Hai) का इस्तेमाल कर सकते हैं. आज के समय में IVF की मदद से बहुत से दंपत्ति आसानी से माता पिता बन पा रहे हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ 80 लाख दंपत्ति और 18 करोड़ 6 लाख लोग व्यक्तिगत तौर पर बांझपन की समस्या से पीड़ित है. आजकल की बिजी शेड्यूल के चलते बहुत से लोग निसंतान रह जाते हैं जो एक बड़ी समस्या है. लेकिन अब मेडिकल क्षेत्र में साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है. इसी का रिजल्ट है कि आज बहुत सी तकनीकों का इस्तेमाल करके लोग अपने जीवन की बहुत सारी कमियों को पूरा कर रहे हैं. IVF ट्रीटमेंट भी उन्हीं तकनीकों में से एक है. इस आर्टिकल की सहायता से हम आपको बताएंगे कि IVF क्या है? IVF की पूरी प्रक्रिया, फायदे और इसके साइड इफेक्ट के बारे में, किन कारणों से इनफर्टिलिटी होती है और इसकी मदद से कोई महिला कैसे गर्भ धारण करती है?
IVF(In vitro fertilization) ट्रीटमेंट क्या है?(IVF Treatment Kya Hota Hai)
IVF का मतलब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन(In vitro fertilization) है. आम बोलचाल की भाषा में हम IVF का इस्तेमाल करते हैं. IVF को हिंदी में भ्रूण प्रत्यारोपण कहते हैं. और इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रक्रिया का प्रयोग पहली बार 1978 में ब्रिटेन में किया गया था.
IVF ट्रीटमेंट के दौरान लेबोरेटरी में महिला के एग और पुरुष के स्पर्म को फर्टिलाइज करके भ्रूण का संयोजन किया जाता है. इसके बाद इस भ्रूण को वापस महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है. हालांकि यह एक जटिल और महंगी प्रक्रिया है लेकिन यह उन दंपतियों के लिए वरदान साबित होती है जो बहुत समय से गर्भधारण की नहीं कर रहे हैं. दुनिया भर में हर साल IVF के जरिए लगभग 80 लाख बच्चे जन्म लेते हैं.
IVF प्रोसेस कब किया जाता है?(IVF Kaise Kiya Jata Hai)
जब आपके कोई संतान नहीं होती तो आपको डॉक्टर से विचार विमर्श करना चाहिए. आपका डॉक्टर आपको IVF कराने की सलाह तब देता है जब आप में ये कुछ निम्न कारण होते हैं. जैसे-
- PCOD जैसी स्थितियों के कारण ओव्यूलेशन में समस्या
जो एक ओव्यूलेशन से संबंधित डिसऑर्डर है. जिसमें पीड़ित महिला के अंडाशय में अंडा ही नहीं बनता.
- यदि कपल्स में से किसी एक ने नसबंदी कराई है
यदि कपल्स में से किसी ने भी नसबंदी करा ली है तो उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हो पाती.
- फेलोपियन ट्यूब की समस्याएं
इसकी समस्या के होने पर महिला के फैलोपियन ट्यूब खराब या ब्लॉक हो जाते हैं. जिससे गर्भाशय से अंडा रिलीज नहीं हो पाता और स्पर्म से नहीं मिल पाता.
- स्पर्म क्वालिटी खराब होना
स्पर्म क्वालिटी खराब या कम होने से पुरुष बांझपन जैसी समस्याएं आती हैं. स्पर्म की क्वालिटी खराब होने के कारण स्पर्म का अंडे के साथ फर्टिलाइज करना मुश्किल होता है.
- एंडोमेट्रोसिस
इसमें पीड़ित महिलाओं के गर्भाशय के बाहर असामान्य रूप से टिशू का विकास होता है, जो फेलोपियन ट्यूब अंडाशय और गर्भाशय को प्रभावित करते हैं.
- अनुवांशिक विकार
कभी-कभी अनुवांशिक विकार के चलते भी कपल्स को गर्भधारण करने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
- यूटेराइन फाइब्रॉइडस
इस समस्या के चलते महिला के गर्भाशय का शेप बदल जाता हैं जिस कारण महिला प्रेग्नेंट नहीं हो पाती.
इसके अलावा IVF प्रक्रिया के लिए आप डोनर स्पर्म या डोनर एग का प्रयोग भी कर सकते हैं.
IVF प्रक्रिया उन दंपतियों के लिए होती है जो किसी प्रकार के गंभीर अनुवांशिक विकार से पीड़ित हैं. और अपने बच्चे तो उस विकार से बचाना चाहते हैं.
यदि कोई महिला या पुरुष कैंसर से पीड़ित है तो इस स्थिति में वह अपने किसी भी प्रकार के कैंसर ट्रीटमेंट कीमोथेरेपी या रेडियोथैरेपी कराने से पहले अपने स्वस्थ अंडे या शुक्राणु को IVF की सहायता से भविष्य के लिए सुरक्षित रखवा सकते हैं, क्योंकि कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी के बाद आपकी प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है. कैंसर के इलाज के बाद IVF प्रक्रिया के द्वारा आप फिर से माता पिता बन सकते हैं.
ऊपर दी गई अगर किसी भी समस्या से आप पीड़ित हैं तो आप IVF ट्रीटमेंट के जरिए इन समस्याओं से छुटकारा पाकर संतान सुख पा सकते हैं.
किस प्रकार की जाती है IVF प्रक्रिया?
IVF उपचार एक लंबी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में लगभग 6 से 8 सप्ताह का समय लगता है. IVF प्रक्रिया कराने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले ले कि आपको IVF कराना चाहिए या नहीं.. डॉक्टर के कहने के बाद ही आप IVF करवाएं. IVF की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है जो इस प्रकार है-
- डॉक्टर के साथ परामर्श
प्राकृतिक रूप से जब कोई गर्भधारण नहीं कर पाता तो डॉक्टर उस व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद और कुछ टेस्ट कराने के बाद IVF ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं.
- ओवेरियन स्टिमुलेशन
किसी महिला के अंडाशय से हर महीने एक अंडा रिलीज होता है. IVF उपचार के लिए एक से अधिक अंडे की आवश्यकता होती है इसलिए डॉक्टर महिला को कुछ हार्मोनअल दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं, जिसके कारण महिला के गर्भाशय में अंडों की संख्या बढ़ती है. डॉक्टर महिला को 4 से 6 या 6 से 12 दिनों तक हार्मोनअल दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं.
- ट्रिगर इंजेक्शन
इस इंजेक्शन के जरिए अंडा मैच्योर बनता है. इस प्रोसेस के 33 से 36 घंटे के बाद डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडा निकालने की प्रक्रिया शुरू करते हैं.
- ओवरी से एग निकालना
डॉक्टर को महिला के अंडाशय से एग को निकालने में 20 से 30 मिनट का समय लगता है. इस प्रोसेस के दौरान लगभग 8 से 16 अंडों को निकाला जाता है.
- स्पर्म लेना (स्पर्म सिलेक्शन)
इसके बाद डॉक्टर मेल पार्टनर से स्पर्म कलेक्ट करते हैं जिसके लिए पुरुष मास्टरबेशन के जरिए अपने स्पर्म को एक छोटे से डिब्बे में डालकर क्लीनिक में जमा करते हैं.
- फर्टिलाइजेशन
एग़ और स्पर्म का शुद्धिकरण करने के बाद डॉक्टर एक इनक्यूबेटर (अंडे सेने वाली मशीन) में अंडा और स्पर्म को फर्टिलाइजेशन के लिए रखते हैं. फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया दो तरीकों से की जाती है परंपरागत गर्भाधान के जरिए इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के जरिए जिसमें एक स्वस्थ स्पर्म को प्रत्येक परिपक्व अंडे में सीधे इंजेक्ट किया जाता है.
- गर्भ में भ्रूण का स्थानांतरण
यह प्रोसेस आमतौर पर एग लेने के 2 से 5 दिन बाद होता है. वैसे तो यह प्रक्रिया दर्द रहित होती है लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर योनि में सर्विस के जरिए गर्भाशय में एक लंबी, पतली लचीली ट्यूब को डालते हैं, जो कैथेटर कहलाती है जिसके जरिए एक से अधिक भ्रूण को गर्भाशय में रखा जाता है.
इस प्रक्रिया के बाद आप सामान्य दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं. यदि भ्रूण स्थानांतरण के बाद थोड़ा बहुत दर्द महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
- प्रेगनेंसी की जांच
इस प्रक्रिया के बाद डॉक्टर महिला को क्लीनिक में बुलाकर खून की जांच करते हैं. IVF गर्भधारण सफल होने पर जांच का रिजल्ट पॉजिटिव आता है.
IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के फायदे(IVF Ke Fayde)
- इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि यह उन निसंतान दंपतियों के लिए एक वरदान है जो माता-पिता बनने से वंचित रह जाते हैं.
- IVF उपचार करने के दौरान डॉ स्वस्थ अंडे और स्पर्म का इस्तेमाल करते हैं इसलिए सेफ प्रेगनेंसी की संभावना बहुत अधिक होती है.
- अगर पुरुष के स्पर्म की क्वालिटी खराब संख्या कम है या महिला की ओवरी में स्वस्थ अंडे नहीं बन पाते. तो इस स्थिति में डोनर स्पर्म और अंडे का इस्तेमाल किया जाता है.
- इसके अलावा IVF कोर्स सरोगेसी के लिए भी बेस्ट ऑप्शन माना जाता है.
- IVF ट्रीटमेंट के दौरान गर्भपात का खतरा भी कम होता है.
- IVF आपको प्रेगनेंसी का समय तय करने की फ्रीडम देता है. आप खुद इस बात का फैसला ले सकते हैं कि कब आपको प्रेग्नेंट होना है.
IVF के संभावित साइड इफेक्ट
जहां IVF के अनेकों फायदे हैं तो वहीं कुछ संभावित साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं.
- एक से अधिक बच्चे के जन्म का खतरा
- जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
- हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग
- पैरों में दर्द और पेशाब में खून आना
- दस्त आना या जी मिचलाना
- अंडे निकालने की जटिल प्रक्रिया
- मनोवैज्ञानिक और भावात्मक असंतुलन
- पाचन की इन समस्याओं को ना करें अनदेखा, आंत में कैंसर के हो सकते हैं लक्षण।
- सिजेरियन डिलीवरी के कितने महीनों के बाद सेकेंड बच्चे का कर सकते हैं प्लान।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के बाद, इन बातों का रखें ध्यान
- भारी समान ना उठाएं
- नशीली चीजों के इस्तेमाल से बचें
- समय पर दवाइयां ले
- संतुलित आहार ले
- सेक्स से दूर रहे
- तनाव से बचें
- हमेशा खुश और तरोताजा महसूस करें
इस लेख के जरिए आपको IVF ट्रीटमेंट प्रोसेस की पूरी जानकारी दी गई है यदि आप अब तक निसंतान है तो निश्चित तौर पर यह जानकारी आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होने वाली है.