Bihar Darbhanga: बिहार के दरभंगा की बेटी ज्योति ने जो काम किया है, उसकी चर्चा अब अमेरिका तक में हो रही है। बिहार की इस बेटी ने जो हौसला और जज्बा दिखाया है, उसे देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी फ़िदा हो गई हैं। जिस तरीके से दरभंगा की ज्योति 1200 किलोमीटर साइकिल चलाकर अपने घायल पिता को गुरुग्राम से लेकर घर आई हैं, उसके इस जज्बे की सराहना इवांका ट्रंप ने अपने ट्विटर एकाउंट के जरिए की है और उसकी संघर्षपूर्ण कहानी को यहां शेयर भी किया है।
यहां की रहने वाली है ज्योति (Bihar Darbhanga Jyoti Story)
दरभंगा के सिरहुल्ली गांव की ज्योति रहने वाली है। कोरोना संकट की वजह से जब लॉकडाउन हो गया तो उसके पिता गुरुग्राम में फंस गए थे। पिता उसके बीमार थे। पैरों में उनके चोट लग गई थी। ऐसे में यह बेटी साइकिल लेकर गुरुग्राम से दरभंगा पहुंच गई। 1200 किलोमीटर ज्योति ने साइकिल चलाई और इस तरीके से साइकिल पर अपने बाप को बिठाकर घर ले आई।
इवांका ने लिखा है (Ivanka Trump Tweet Story of Bihar Darbhanga Jyoti)
इवांका ट्रंप ने ज्योति की कहानी को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। इवांका ने इसे शेयर करते हुए लिखा है कि यह ज्योति कुमारी है। इसकी उम्र 15 साल की है। अपने घायल पिता को यह साइकिल पर बैठाकर 1200 किलोमीटर की यात्रा 7 दिनों में पूरा करके अपने गांव लेकर आई है। ज्योति ने जिस तरह से अपने पिता के प्रति अपना प्यार दर्शाया है और जो जज्बा उसने दिखाया है, उसने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है और साथ में साइकलिंग फेडरेशन का भी।
फंस गए थे लॉकडाउन में
ज्योति जो कि 15 साल की है, वह बीते जनवरी में अपने बीमार पिता की देखभाल के लिए गुरुग्राम गई हुई थी। तभी मार्च में अचानक कोरोना महामारी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया। ऐसे में वे गुरुग्राम में ही फंस गए। पिता की जेब पूरी तरीके से खाली हो गई थी, क्योंकि पैर में चोट लगने की वजह से वे ई-रिक्शा नहीं चला पा रहे थे। साथ ही लॉकडाउन हो गया था। ऐसे में पिता और बेटी के सामने अब भूखे मरने की नौबत आ गई थी। प्रधानमंत्री राहत कोष से इसी बीच 1000 रुपये खाते में पहुंच गए। कुछ और पैसे मिलाकर ज्योति ने एक पुरानी साइकिल खरीद ली और उसी पर बिठाकर अपने पिता को गांव लाने की उसने ठान ली।
हो रही सराहना
पहले तो पिता तैयार नहीं थे, मगर बेटी के हौसले को देखकर उन्होंने हां कह दी। आखिरकार 1200 किलोमीटर साइकिल चलाकर सात दिनों में ज्योति गुरुग्राम से दरभंगा अपने घर पिता को लेकर पहुंच गई। ज्योति के इस कदम की हर ओर तारीफ हो रही है। देश और दुनियाभर में जिसने भी ज्योति की कहानी सुनी है, हर कोई उसकी तारीफ करते नहीं थक रहा है। साइकिलिंग फेडरेशन ने तो टेस्ट में पास होने पर उसे ट्रेनिंग देने का भी फैसला कर लिया है।
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