Kheel Batashe Ka Mahatva In Hindi: जैसा कि हम सभी जानते हैं दिवाली का त्योहार हम सभी के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। कार्तिक मास की अमावस्या का दिन दिवाली के रूप में पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और इस बार यह पर्व नवंबर के महीने में 12 तारीख को मनाया जाएगा। कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या को भगवान रामचन्द्र जी चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे और अयोध्या वासियों ने उनके लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशियां मनायी थी, इसी याद में आज तक दीपावली पर दीपक जलाए जाते हैं। दिवाली हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है और इस दिन विशेष रूप से धन की देवी मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है और साथ में गणेश जी की भी। रौशनी के इस पर्व में मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है। वैसे तो उनकी पूजा में कई विधि-विधान हैं मगर एक चीज के बिना उनकी आराधना अधूरी मानी जाती है और वो है खील, बताशा।
दिवाली पर पूजन की सामग्री(Diwali Puja ki Samagri In Hindi)
दीवाली धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति का त्योहार है। हर कोई इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन कर जीवनभर धन-संपत्ति की कामना करता है। लक्ष्मी जी की पूजा के लिए हमें इन सभी वस्तुओं की व्यवस्था कर लेनी चाहिए जैसे केसर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, दीपक, रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश आदि। आप सोच रहे होंगे कि अन्य सभी चीजें तो ठीक हैं मगर पूजा में खील बताशे की भला क्या आवश्यकता। तो आज हम आपको बताएंगे कि धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा में खील बताशे का बहुत ही ज्यादा महत्त्व है और आज हम आपको इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
क्या है खील-बताशे का महत्त्व(Kheel Batashe Ka Mahatva In Hindi)
खील यानी धान जो कि मूलत: धान का ही एक रूप है, खील चावल से बनती है और चावल उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी माना जाता है। आमतौर पर यह भी देखा गया है कि लक्ष्मी देवी को बेसन के लड्डू और भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिवाली के पहले ही इसकी फसल तैयार होती है, इस कारण लक्ष्मी को फसल के पहले भाग के रूप में खील-बताशे(Kheel Batashe ka mahatva In Hindi) चढ़ाए जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आपको यह भी बता दें कि खील बताशों का ज्योतिषीय महत्व भी है।
मान्यता के अनुसार दिवाली धन और वैभव की प्राप्ति का त्योहार है और धन-वैभव का दाता शुक्र ग्रह को माना गया है। श्वेत और मीठी सामग्री दोनों शुक्र की ही कारक हैं अत: इन दोनों को मिलाकर वास्तव में शुक्र ग्रह को ही अनुकूल किया जाता है साथ ही साथ मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर शुक्र को अपने अनुसार किया जा सकता है। दीप पर्व पर संभवत: यही कारण है कि खील बताशों के बिना लक्ष्मी पूजन संपन्न नहीं माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बताया जाता है कि शुक्र ग्रह का प्रमुख धान्य ‘धान’ ही होता है और ऐसे में शुक्र को प्रसन्न करने के लिए हम लक्ष्मी जी को खील बताशे का प्रसाद चढ़ाते हैं।
खील बताशों का और भी है महत्त्व
खील बताशे का धार्मिक महत्त्व तो आप समझ ही चुके होंगे मगर आपको बताना चाहेंगे कि इसके अलावा भी इसके और भी कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जैसे अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाये तो इसमें भी यह बेहद लाभदायक माना जाता है। असल में जब भी कभी हम लंबे दिनों तक जैसे कि नवरात्री के नौ दिनों तक व्रत रहने के बाद हमारी पाचन क्रिया काफी हद तक प्रभावित हो जाती है, इस स्थिति में यदि आप खील का सेवन करते हैं तो यह काफी हद तक लाभदायक मानी जाती है। असल में यह सुपाच्य होती है और इससे कमजोर हाजमा भी दुरुस्त हो जाता है। तो इस तरह से खील बताशे ना सिर्फ धार्मिक बल्कि स्वास्थ्य कारणों से भी काफी महत्वपूर्ण बताये गए हैं।
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