Shafali Verma: इस वक्त महिला टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप चल रहा है। इसमें भारत का प्रदर्शन अभी तक बहुत ही लाजवाब रहा है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अब तक टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से खूब वाहवाही बटोरी है। वहीं, टीम में कई ऐसी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने लाजवाब प्रदर्शन करके दिखाया है। 16 साल की शेफाली वर्मा भी इन्हीं में से एक हैं। बीते 27 फरवरी को जब ऑस्ट्रेलिया में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम ने अपना मैच खेला तो इस दौरान शेफाली वर्मा का बल्ला खूब गरजा। उन्होंने 34 गेंदों पर 46 रन बनाए। अपनी इस पारी के दौरान उन्होंने न केवल चार चौके लगाए, बल्कि तीन छक्के भी जड़ दिए। शुरुआत में भले ही उनका बल्ला बहुत धीमे चला, लेकिन 12वीं गेंद पर चौका जड़ने के बाद जो उनके बल्ले ने आग उगलना शुरू किया, उसकी वजह से विपक्षी टीम के हौसले पस्त हो गए।
शेफाली (Shafali Verma) को मिली ज्यादा बधाई
महिला टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान बीते 27 फरवरी को नौवां मुकाबला भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था। इसमें भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी की थी। निर्धारित 20 ओवरों में 8 विकेट खोकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 133 रन बनाए थे और न्यूजीलैंड के सामने जीत के लिए 134 रनों का लक्ष्य रखा था। जवाब में बल्लेबाजी करने के लिए उतरी न्यूजीलैंड की टीम 20 ओवरों में 6 विकेट खोकर 129 रन ही बना सकी थी और इस मैच को भारत ने 3 रनों से जीत लिया था। इस तरह से सेमीफाइनल में भी भारत की जगह सुनिश्चित हो गई थी। वैसे तो टीम को दुनियाभर से बधाई मिली, लेकिन शेफाली वर्मा की तारीफ कुछ ज्यादा ही हुई, क्योंकि उन्होंने खेल ही ऐसा दिखाया था।
पिता ने सिखाया क्रिकेट खेलना
शेफाली वर्मा एक बड़ी ही धाकड़ बल्लेबाज हैं।बीते 28 जनवरी को ही शेफाली वर्मा 16 साल की भी हुई हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जब वे केवल 5 वर्ष की थीं, तभी से उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। यहां तक कि लड़कों के साथ भी कई बार वे खेलती हुई दिखी हैं। इससे जुड़ा हुआ एक बड़ा ही रोचक किस्सा है। शेफाली वर्मा के पिता का नाम है संजीव वर्मा। ये हरियाणा के रोहतक के निवासी हैं। इनकी इच्छा थी कि क्रिकेटर बनें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। फिलहाल वे एक सुनार हैं। खुद क्रिकेटर नहीं बन पाए तो उन्होंने ठान लिया कि अपने बेटे साहिल और बेटी शेफाली को तो क्रिकेटर बना ही देंगे। इसलिए उन्होंने बच्चों को क्रिकेट खेलना सिखाना शुरू कर दिया। सुबह होते ही वे अपने दोनों बच्चों को बाइक पर बैठाकर कोई मैदान या पार्क ढूंढने के लिए निकल जाते थे, जहां वे इन्हें क्रिकेट खेलना सिखा सकें।
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पुरुषों के टूर्नामेंट में
अब दिक्कत यह थी कि लोग कहते थे कि एक लड़की लड़कों के बीच क्रिकेट खेलेगी, तो ऐसे में उनके पिता संजीव वर्मा ने उनके बाल को बॉय कट कटवा दिया था। इस तरह से उन्हें देखकर यह पहचानना मुश्किल हो जाता था कि वे लड़का हैं या लड़की। इस तरह से लड़कों के बीच भी वे आराम से प्रैक्टिस कर लिया करती थीं। एक बार हुआ क्या कि पानीपत में एक मैच होने वाला था, जिसमें साहिल को जाना था, लेकिन वह बीमार पड़ गया था और खेलने की स्थिति में नहीं था। ऐसे में शेफाली वर्मा के पिता ने शेफाली को ही इस मैच में खेलने के लिए भेज दिया था। लड़कों के बीच भी शेफाली ने दमदार प्रदर्शन किया। उन्होंने खूब रन बनाए और इतना लाजवाब प्रदर्शन किया कि आखिरकार उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुन लिया गया।
कोच भी लड़कों के साथ ही खिलाते थे
रोहतक में जब शेफाली की ट्रेनिंग चल रही होती थी तो उनके कोच अश्विनी कुमार इस डर से उन्हें बाकी लड़कियों के साथ नहीं खेलने देते थे कि कहीं उनके शॉट से उन लड़कियों को चोट ना लग जाए। वे उन्हें 15 से 18 साल के लड़कों के साथ खिलाते थे। घरेलू क्रिकेट में शेफाली ने इतना शानदार प्रदर्शन किया कि पिछले वर्ष उन्हें अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच में खेलने का अवसर मिल गया। शेफाली को महिला क्रिकेट टीम की अगली स्टार के रूप में देखा जा रहा है।
लाजवाब रिकॉर्ड
सबसे कम उम्र में अर्धशतक जमाने के उन्होंने सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को भी तोड़ डाला है। बीते साल नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने महज 49 गेंदों पर 73 रन ठोंक दिए थे। उन्होंने अब तक 17 टी-20 मैच खेले हैं और इनमें वे 438 रन बनाने में कामयाब रही हैं। इस वर्ल्ड कप में अब तक हुए 4 मैचों में 2 में शेफाली वर्मा प्लेयर ऑफ द मैच बन चुकी हैं। उन्हें खेलते देखकर आपको वीरेंद्र सहवाग की याद जरूर आ जाएगी।