बिहार विभानसभा चुनाव(Bihar Election) प्रचार में पहली बार राष्ट्रीय जनता दल के गद्दावर नेता लालू प्रसाद यादव(Lalu Yadav) शामिल नहीं हो सकेंगे। राजद के दिग्गज नेता को चारा घोटाले कांड में तो कोर्ट से जमानत मिल गई है लेकिन दुमका कोषागार के एक मामले में उनको ज़मानत के लिए इंतज़ार करना होगा। इस मामले में उनकी 50 प्रतिशत सजा 9 अक्टूबर को पूरी होगी। जिससे साफ हो गया है कि चुनाव प्रचार और कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करने का काम लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव पर होगा।
लोकसभा चुनाव प्रचार में भी नहीं थे लालू
वहीं इससे पहले लोकसभा चुनाव(Bihar Election) के दौरान भी लालू यादव(Lalu Yadav) चुनाव अभियान का हिस्सा नहीं बन सके थे। उस समय भी राजद के नेता जेल में बंद थे और तेजस्वी ने ही चुनाव प्रचार से लेकर जगह-जगह सभा संबोधित करने का कार्यभार उठाया था। शुक्रवार यानि 9 अक्टूबर को कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि इस बार के विधान सभा चुनाव प्रचार की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में होगी जो सभी प्रत्याशियों के प्रचार की जिम्मेदारी भी लेंगे।
1977 में लड़ा था पहली बार चुनाव
राष्ट्रीय जनता दल के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव(Lalu Yadav) जब 29 साल के थे तो उन्होंने पहली बार 1977 में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता भी था। हालांकि दो साल बाद 1979 में वह तब चुनाव हार गए, जब कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की थी। 1980 और 1985 में वह बिहार विधानसभा(Bihar Election) के सदस्य चुने गए। 1989 में वह दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। तब बोफोर्स घोटाले के खिलाफ देश भर में कांग्रेस विरोधी लहर थी और वीपी सिंह के नेतृत्व में केंद्र में नेशनल फ्रंट सरकार बनी। सन् 1990 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में लालू पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे।
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जेल में बंद होने के कारण लालू(Lalu Yadav) के करीबी नेताओं का कहना है कि चुनाव प्रचार में लालू के न होने से इसका बड़ा असर जनता पर पड़ता है। वह एक अच्छे वक्ता होने के साथ-साथ व्यंग करने में उस्ताद भी हैं जिसे लोग खूब पसंद करते हैं।