आजकल की तेज भागती इस दुनिया में हर कोई अपने लिए जीता है और अपने परिवार के लिए ही कमाता-खाता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों की भलाई के लिए सच्ची श्रद्धा से कार्य करते हैं। गरीबों की मदद करना, दान-पुन्य करना बेहद पुन्य का काम माना जाता है। इसी का जीता-जागता उदाहरण हैं दिल्ली की रहने वाली सरिता कश्यप।
प्रेरणादायक है सरिता की कहानी
![Sarita Kashyap Serving Rajma Chawal In Scooty](https://hindi.rapidleaks.com/wp-content/uploads/2020/09/Sarita-Serving-Rajma-Chawal-In-Scooty.jpg)
दिल्ली के पश्चिम विहार में रहने वाली सरिता कश्यप(Sarita Kashyap) की शादी लगभग 24 साल पहले हुई थी। लेकिन पति से ना बनने के कारण 4 साल बाद ही उनका तलाक हो गया था। ऐसे में बेटी को पति के पास ना छोड़ कर सरिता अपने साथ ले आईं। फर्राटे दार अंग्रेजी बोलने वाली सरिता शादी से पहले एक ऑटोमोबाइल कंपनी के अलावा कई अन्य कंपनियों में काम कर चुकी थीं, लेकिन इस बार उन्हें घर चलाने के साथ ही अपनी छोटी सी बेटी की भी देखभाल करनी थी। इसलिए उन्होने खाने का स्टॉल लगाने के बारे में सोचा।
ना हों पैसे तो फिर कभी
पिछले 20 सालों से सरिता(Sarita Kashyap) दिल्ली के पीरागढ़ी मेट्रो स्टेशन के पास एक पेड़ के नीचे अपनी स्कूटी पर ‘राजमा-चावल’(Rajma Chawal) का स्टॉल लगाती हैं। यहाँ वे आपको 40 से 60 रुपए में भर पेट खाना खिलाती हैं। खास बात यह है कि यदि आपके पास पैसे नहीं हैं, तो भी आपको ये भूखा नहीं जाने देती और “खा लो, पैसे बाद में दे देना” कह कर भर पेट खाना खिलाती हैं।
सरिता(Sarita Kashyap) कहती हैं, “कमाई तो होती ही रहेगी, लेकिन लोगों को खाना खिला कर अब जो खुशी मिलती है, वो और किसी चीज में नहीं मिलती”। बता दें की सरिता गरीब बच्चों को भी मुफ्त में राजमा-चावल खिलाती हैं। यही नहीं, वे उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें और जूते खरीद कर देने के साथ ही पढ़ने में भी मदद करती हैं।
कैसे शुरू हुआ यह अनोखा सफर
![Sarita Serving Rajma Chawal](https://hindi.rapidleaks.com/wp-content/uploads/2020/09/Sarita-Serving-Rajma-Chawal.jpg)
सरिता बताती हैं, “एक दिन अचानक मन में विचार आया, तो राजमा चावल बनाकर स्कूटी पर रखे और पीरागढ़ी की तरफ बेचने चली गई। मन में सोचा, यदि किसी ने खरीदा तो अच्छा नहीं तो वापस लौट आऊँगी। लेकिन पहले ही दिन इतना अच्छा रिस्पॉन्स अच्छा मिला की लोगों ने ना सिर्फ राजमा-चावल शौक से खाए बल्कि घर के लिए भी पैक कराए और इस तरह मेरा बिजनेस चल पड़ा”।
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सिंगल मदर सरिता, इसी से अपना घर चलाने के साथ ही बेटी को कॉलेज में भी पढ़ा रही हैं। सरिता की इस प्रेरणात्मक कहानी के सामने आने के बाद लोग, उनकी और उनके जज्बे व संघर्ष की सराहना करते नहीं थक रहे। उनके इस जज्बे को हमारा भी सलाम!