इस वक्त जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है और स्वास्थ्य एक बड़ा मुद्दा बन गया है तो ऐसे में हम आपको स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी भारत की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में यहां बता रहे हैं, जिसका नाम है लाइफलाइन एक्सप्रेस(Lifeline Express)।
इसे सबसे पहले 1991 में भारतीय रेलवे ने शुरू किया था। यह एक ऐसा चक्कों पर दौड़ता चलता-फिरता हॉस्पिटल है, जो गरीबों को हर तरह का इलाज बिना किसी शुल्क के मुहैया कराता है। वर्तमान में यह लाइफलाइन एक्सप्रेस(Lifeline Express) असम के बदरपुर स्टेशन पर खड़ी है।
भारत के नाम
भारतीय रेलवे ने रेल मंत्रालय के मुताबिक इस तरह की ट्रेन शुरू करके दुनिया की पहली ‘हॉस्पिटल ट्रेन'(Hospital Train) बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। वह इसलिए कि दुनिया में कोई भी ऐसा देश फिलहाल नहीं है, जहां भारत के लाइफलाइन(Lifeline Express) जैसी ट्रेन मौजूद हो।
देश भर में घूम-घूम कर
भारत के दूर-दराज और दुर्गम इलाक़ों में रहने वाले बहुत से लोग इलाज़ के लिए शहर नहीं आ पाते हैं। ऐसे में वर्ष 1991 इस ट्रेन को इसी उद्देश्य से शुरू किया गया था कि यह देश भर में घूम-घूम कर ज़रुरतमंदों को निःशुल्क मेडिकल सहायता उपलब्ध कराए।
सभी जरूरी सुविधाएं
7 डिब्बों वाली इस ट्रेन को ‘लाइफ़लाइन एक्सप्रेस’(Lifeline Express) के अलावा ‘जीवन रेखा एक्सप्रेस’(Jeevan Rekha Express) के नाम से भी जाना जाता है। इस हॉस्पिटल में 2 मॉर्डन ऑपरेशन थिएटर के साथ मेडिकल स्टाफ़ रूम, 5 ऑपरेटिंग टेबल और कई अन्य जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं।
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शेड्यूल के मुताबिक ठहराव
इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन(Impact India Foundation) के साथ मिलकर भारतीय रेलवे इस ट्रेन का संचालन कर रही है। इसका अलग-अलग स्टेशनों पर रुकने का शेड्यूल भी बना हुआ है। सर्जरी और ऑपरेशन तक इस ट्रेन में होते हैं। भारत के लाइफलाइन एक्सप्रेस(Lifeline Express) की चर्चा दुनिया भर में होती है।